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नारी (nArI)

 
Shabda Sagara English

नारी

Feminine.

(

-री

)

1.

A

woman

in

general,

a

female.

2.

A

species

of

the

Madhya

metre.

Etymology

नर

a

man,

अञ्

and

ङीप्

affs.

or

नृ

+

नर

+

वा

जातौ

ङीष्

निपातने

Capeller Eng English

ना॑री

v.

नार.

Yates English

नारी

(

री

)

3.

Feminine.

A

woman

in

general.

Spoken Sanskrit English

नारी

-

nArI

-

Feminine

-

woman

वनिता

-

vanitA

-

Feminine

-

woman

स्त्री

-

strI

-

Feminine

-

woman

कुरूपिणी

-

kurUpiNI

-

Feminine

-

uglywoman

बालिका

-

bAlikA

-

Feminine

-

youngwoman

मनस्विनी

-

manasvinI

-

Feminine

-

proudwoman

युवती

-

yuvatI

-

Feminine

-

youngwoman

कटिसूत्र

-

kaTisUtra

-

Neuter

-

woman'sgirdle

सुनन्दा

-

sunandA

-

Adjective

-

woman

नारीक

-

nArIka

-

Adjective

-

woman

जाया

-

jAyA

-

Feminine

-

woman

अङ्गना

-

aGganA

-

Feminine

-

woman

महिला

-

mahilA

-

Feminine

-

woman

अंमना

-

aMmanA

-

Feminine

-

woman

वामा

-

vAmA

-

Feminine

-

woman

बधू

-

badhU

-

Feminine

-

woman

सीमंतिनी

-

sImaMtinI

-

Feminine

-

woman

योषा

-

yoSA

-

Feminine

-

woman

ललना

-

lalanA

-

Feminine

-

woman

योषित्

-

yoSit

-

Feminine

-

woman

नारी

-

nArI

-

Feminine

-

woman

नारी

-

nArI

-

Feminine

-

female

or

any

object

regarded

as

feminine

नारी

-

nArI

-

Feminine

-

nArI

नारी

-

nArI

-

Feminine

-

sacrifice

नारी

-

nArI

-

Feminine

-

wife

नारी

-

nArI

-

Feminine

-

nArI

कथम्

-

katham

-

Indeclinable

-

nAma

उरग

-

uraga

-

Masculine

-

nAga

नायिका

-

nAyikA

-

Feminine

-

nAyikA

तपस्विन्

-

tapasvin

-

Masculine

-

nArada

देवर्षि

-

devarSi

-

Masculine

-

nArada

त्रिदशायन

-

tridazAyana

-

Adjective

-

nArAyaNa

जना

-

janA

-

Feminine

-

nArAyaNa

नाटकी

-

nATakI

-

Indeclinable

-

for

nATaka

नारायणदेव

-

nArAyaNadeva

-

Masculine

-

god

nArAyaNa

तुहिना

-

tuhinA

-

Feminine

-

zukanAsa

tree

ग्राह

-

grAha

-

Masculine

-

see

nAmagrAha

चञ्चु

-

caJcu

-

Masculine

-

plant

gonADIka

उलूक

-

ulUka

-

Masculine

-

name

of

a

nAga

महानारायण

-

mahAnArAyaNa

-

Masculine

-

great

nArAyaNa

महत्

-

mahat

-

Masculine

-

lute

of

nArada

दृग्विष

-

dRgviSa

-

Masculine

-

nAga

or

serpent

वास्पेय

-

vAspeya

-

Masculine

-

tree

nAgakesara

जम्बु

-

jambu

-

Feminine

-

shrub

nAgadamanI

कुम्भसम्भव

-

kumbhasambhava

-

Masculine

-

name

of

nArAyaNa

नारी

-

nArI

-

Feminine

-

nArI

कथम्

-

katham

-

Indeclinable

-

nAma

उरग

-

uraga

-

Masculine

-

nAga

नायिका

-

nAyikA

-

Feminine

-

nAyikA

तपस्विन्

-

tapasvin

-

Masculine

-

nArada

देवर्षि

-

devarSi

-

Masculine

-

nArada

त्रिदशायन

-

tridazAyana

-

Adjective

-

nArAyaNa

जना

-

janA

-

Feminine

-

nArAyaNa

नाटकी

-

nATakI

-

Indeclinable

-

for

nATaka

नारायणदेव

-

nArAyaNadeva

-

Masculine

-

god

nArAyaNa

तुहिना

-

tuhinA

-

Feminine

-

zukanAsa

tree

ग्राह

-

grAha

-

Masculine

-

see

nAmagrAha

चञ्चु

-

caJcu

-

Masculine

-

plant

gonADIka

उलूक

-

ulUka

-

Masculine

-

name

of

a

nAga

महानारायण

-

mahAnArAyaNa

-

Masculine

-

great

nArAyaNa

महत्

-

mahat

-

Masculine

-

lute

of

nArada

दृग्विष

-

dRgviSa

-

Masculine

-

nAga

or

serpent

वास्पेय

-

vAspeya

-

Masculine

-

tree

nAgakesara

जम्बु

-

jambu

-

Feminine

-

shrub

nAgadamanI

कुम्भसम्भव

-

kumbhasambhava

-

Masculine

-

name

of

nArAyaNa

नारी

nArI

Feminine

nArI

नारी

nArI

Feminine

nArI

नारी

nArI

Feminine

woman

नारी

nArI

Feminine

wife

नारी

nArI

Feminine

female

or

any

object

regarded

as

feminine

नारी

nArI

Feminine

nArI

नारी

nArI

Feminine

sacrifice

Wilson English

नारी

Feminine.

(

-री

)

1

A

woman

in

general,

a

female.

2

A

species

of

the

Madhya

metre.

Etymology

नर

a

man,

अञ्

and

ङीप्

Affix.

Apte English

नारी

[

nārī

],

[

नॄ-नर-वा

जातौ

ङीष्

नि˚

]

A

woman

अर्थतः

पुरुषो

नारी

या

नारी

सार्थतः

पुमान्

Mṛichchhakaṭika

3.27.

Any

female

or

feminine

object.

Sacrifice.

Compound.

-इष्टा

Arabian

Jasmin

(

Marâṭhî.

मोगरा

).

तरङ्गकः

a

paramour.

a

libertine.

-दूषणम्

a

woman's

vice:

(

they

are:

पानं

दुर्जनसंसर्गः

पत्या

विरहो$टनम्

स्वप्नो$न्यगृहवासश्च

नारीणां

दूषणानि

षट्

Manusmṛiti.

9.13

).

-नाथ

Adjective.

having

a

woman

for

possessor

or

owner

क्वचिदपि

गृहं

नारीनाथं

निरीक्ष्य

विवर्जितम्

Mṛichchhakaṭika

4.3.-परायण

Adjective.

devoted

to

women.

-पुरम्

women's

apartment

in

house,

gynaeceum.

-प्रसंगः

lechery,

libertinism.

-रत्नम्

a

jewel

of

a

woman,

an

excellent

woman.

Apte 1890 English

नारी

[

नॄ-नर-वा

जातौ

ङीष्

नि°

]

A

woman

अर्थतः

पुरुषो

नारी

या

नारी

र्साथतः

पुमान्

Mk.

3.

27.

Comp.

तरंगकः

{1}

a

paramour.

{2}

a

libertine.

दूषणं

a

woman's

vice,

(

they

are:

पानं

दुर्जनसंसर्गः

पत्या

विरहोऽटनम्

स्वप्नोऽन्यगृहवासश्च

नारीणां

दूषणानि

षट्

Ms.

9.

13

).

प्रसंगः

lechery,

libertinism.

रत्नं

a

jewel

of

a

woman,

an

excellent

woman.

Monier Williams Cologne English

नारी॑

a

(

),

feminine.

,

see

नारी

ना॑री

b

feminine.

(

of

°र॑,

q.v.

)

a

woman,

a

wife

(

in

older

language

also

ना॑रि

),

ṛg-veda

et cetera.

et cetera.

a

female

or

any

object

regarded

as

feminine,

vājasaneyi-saṃhitā

taittirīya-āraṇyaka

sacrifice,

naighaṇṭuka, commented on by yāska

nalopākhyāna

of

a

daughter

of

Meru,

bhāgavata-purāṇa

of

2

kinds

of

metre,

Colebrooke

ना॑री

c,

feminine.

See

above.

Monier Williams 1872 English

नारी

नारी,

f.

See

नार,

p.

479,

col.

1.

Macdonell English

नारी

nā́rī,

Feminine.

woman,

wife:

-maya,

Adjective.

consisting

🞄of

women

only

-yāna,

Neuter.

carriage

for

🞄women.

Benfey English

नारी

नारी,

see

नार।

Chandas Sanskrit

सम-वृत्तम्,

अक्षराणि →

12,

पादेऽक्षराणि →

3

मात्रा-विन्यासः

दा

दा

दा

लक्षणम् →

मो

नारी

लक्षण-मूलम् →

वृत्तरत्नाकरः

उदाहरणम् →

श्रीनारीगोविंदौ

भूयास्तवोद्बुद्ध्यै

Hindi Hindi

महिला

Apte Hindi Hindi

नारी

स्त्रीलिङ्गम्

-

नृ-

नर

वा

जातौ

ङीष्

नि*

स्त्री

Shabdartha Kaustubha Kannada

नारी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ಮನುಷ್ಯಜಾತಿಯ

ಹೆಂಗಸು

निष्पत्तिः

नृ

/

नर

जाति०

"ङीन्"

(

ग०

५४,

४-१-७३

)

वृद्धिश्च

प्रयोगाः

"नारीभिर्गुरुजघनस्थलाहतानामास्यश्रीविजितविकासिवारिजानाम्"

उल्लेखाः

माघ०

८-४७

विस्तारः

)पद्मिनी,

)चित्रिणी,

)शङ्खिनी

ಮತ್ತು

)हस्तिनी

ಎಂದು

ನಾಲ್ಕು

ಜಾತಿಯ

ಹೆಂಗಸರಿರುವರು.

नारी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ಮೂರು

ಗುರುವರ್ಣವುಳ್ಳ

ಛಂದಸ್ಸಿನ

ಒಂದು

ವೃತ್ತ

विस्तारः

"मो

नारी"

-

वृ०

र०

L R Vaidya English

nArI

{%

f.

%}

A

woman,

श्रियो

हि

कुर्वंति

तथैव

नार्यो

भुजंगकन्या

परिसर्पणानि

Mrich.iv.

Bopp Latin

नारी

f.

(

a

नर

vir,

productâ

mediâ

vocali

et

adjecto

signo

fem.

)

femina.

Anekartha-Dvani-Manjari Sanskrit

वधू

स्त्री

वधू,

नारी,

भार्या,

पुत्रवधू

वधूर्नारी

वधूर्भार्या

वधूः

पुत्रवधूरपि

verse

2.1.1.22

page

0009

Wordnet Sanskrit

Synonyms

स्त्री,

नारी,

नरी,

मानुषी,

मनुषी,

मानवी,

ललना,

ललिता,

रमणी,

रामा,

वनिता,

प्रिया,

महिला,

योषा,

योषिता,

योषित्,

योषीत्,

वधूः,

भरण्या,

महेला,

महेलिका,

मानिनी,

वामा,

अङ्गना,

अबला,

कामिनी,

जनिः,

जनी,

जोषा,

जोषिता,

जोषित्,

धनिका,

परिगृह्या,

प्रमदा,

प्रतीपदर्शिनी,

विलासिनी,

सिन्दूरतिलका,

सीमन्तिनी,

सुभ्रूः,

शर्वरी

(Noun)

मनुष्यजातीयानां

स्त्री-पुंरूपीययोः

प्रभेदद्वययोः

प्रथमा

या

प्रजननक्षमा

अस्ति।

"अधुना

विविधेषु

क्षेत्रेषु

स्त्रीणाम्

आधिपत्यम्

वर्तते।

"

Purana English

नारी

/

NĀRĪ.

A

daughter

of

Meru.

She

and

her

sisters

were

married

by

the

following

sons

of

agnīdhra,

i.e.

Nābhi,

kimpuruṣa,

hari,

ilāvṛta,

ramyaka,

hiraṇmaya,

kuru,

bhadrāśva

and

ketumāla.

(

bhāgavata,

5th

skandha

).

Vedic Reference English

Nārī,

‘woman,

occurs

in

the

Rigveda^1

and

later.^2

The

word

seems

in

the

Rigveda^3

to

have

a

distinct

reference

to

a

woman

as

a

wife,

because

it

occurs

in

several

passages

with

distinct

reference

to

matrimonial

relations,

^3

and

in

the

later

Vedic

literature,

where

it

is

not

common,

it

sometimes^4

has

that

sense.

Delbrück,

^5

however,

thinks

that

it

does

not

indi-

cate

marital

relations,

but

merely

the

woman

as

the

sexual

complement

of

the

man.

1

)

vii.

20,

5

55,

8

viii.

77,

8

x.

18,

7

86,

10.

11.

2

)

Av.

xiv.

2,

13

Vājasaneyi

Saṃhitā,

xxiii.

36

Aitareya

Brāhmaṇa,

iii.

34.

3

)

i.

73,

3

(

pati-juṣṭā,

‘dear

to

her

husband’

)

vii.

20.

5

x.

18,

7

(

avidhavāḥ

supatnīḥ,

‘not

widowed,

with

noble

husbands’

),

etc.

3

)

i.

73,

3

(

pati-juṣṭā,

‘dear

to

her

husband’

)

vii.

20.

5

x.

18,

7

(

avidhavāḥ

supatnīḥ,

‘not

widowed,

with

noble

husbands’

),

etc.

4

)

Gautama

Dharma

Sūtra,

ix.

28.

5

)

Die

indogermanischen

Verwandtschafts-

namen,

417,

439.

Amarakosha Sanskrit

नारी

स्त्री।

स्त्री

समानार्थकाः

स्त्री,

योषित्,

अबला,

योषा,

नारी,

सीमन्तिनी,

वधू,

प्रतीपदर्शिनी,

वामा,

वनिता,

महिला,

वासिता,

वशा

2।6।2।1।5

स्त्री

योषिदबला

योषा

नारी

सीमन्तिनी

वधूः।

प्रतीपदर्शिनी

वामा

वनिता

महिला

तथा॥

अवयव

==>

आर्तवम्,

स्त्रीस्तनम्

पति

==>

पुरुषः

सम्बन्धि2

==>

स्त्रीकट्याः_पश्चाद्भागः,

स्त्रीकट्याः_अग्रभागः,

स्त्रीयोनिः

वैशिष्ट्यवत्

==>

स्त्रीणाम्_श्रृङ्गारभावजाः_क्रिया

==>

पत्नी,

नर्तकी,

स्त्रीविशेषः,

कोपनस्त्री,

अत्यन्तोत्कृष्टस्त्री,

पट्टमहिषी,

राजभार्या,

पतिपुत्रातिमती,

पतिव्रता,

प्रथममूढा,

स्वेच्छाकृतपतिवरणा,

दोषवारणकृतकुलरक्षास्त्री,

कन्या,

अदृष्टरजस्का,

प्रथमप्राप्तरजोयोगा,

यौवनयुक्ता,

पुत्रभार्या,

प्राप्तयौवना_पितृगेहस्था,

धनादीच्छायुक्ता,

मैथुनेच्छावती,

या_कान्तेच्छयारतिस्थानं_गच्छती_सा,

स्वैरिणी,

अपत्यरहिता,

पतिपुत्ररहिता,

विधवा,

सखी,

सुमङ्गली,

पक्वकेशी,

स्वयम्ज्ञात्री,

प्रशस्तबुद्धी,

शूद्रस्यभार्या,

शूद्रजातीया,

आभीरी,

वैश्यजातीया,

क्षत्रियजातीया,

स्वयम्विद्योपदेशीनी,

स्वयम्मन्त्रव्याख्यात्री,

आचार्यभार्या,

वैश्यपत्नी,

क्षत्रियपत्नी,

विद्योपदेष्टृभार्या,

वीरस्य_भार्या,

वीरस्य_माता,

प्रसूता,

नग्ना,

दूती,

अर्धवृद्धा_काषायवसना_अधवा_च_स्त्री,

परवेश्मस्था_स्ववशा_शिल्पकारिका_च_स्त्री,

कृष्णकेशी_प्रेष्यान्तःपुरचारिणी_च_स्त्री,

वेश्या,

जनैः_सत्कृतवेश्या,

परनारीं_पुंसा_संयोजयित्री,

शुभाशुभनिरूपिणी,

रजस्वला,

गर्भवशादभिलाषविशेषवती,

रजोहीना,

गर्भिणी,

द्विवारमूढा,

द्व्यूढाप्रधानभार्यः,

जननी,

भगिनी,

भर्तृभगिनी,

परस्परम्_भ्रातृभार्या,

भ्रातृपत्निः,

मातुलभार्या,

पत्युर्वा_पत्न्याः_वा_माता,

अतिबालिका,

द्वारस्था_योषित्,

नटी,

परद्रोहकारी

पदार्थ-विभागः

,

द्रव्यम्,

पृथ्वी,

चलसजीवः,

मनुष्यः

Kalpadruma Sanskrit

नारी,

स्त्रीलिङ्गम्

(

नुर्नरस्य

वा

धर्म्म्या

नृ

+

“ऋतो-ऽञ्

।”

४९

इति

अञ्

नर

+

“नरा-च्चेति

वक्तव्यम्

।”

इति

वार्त्तिकोक्त्या

अञ्

।“शार्ङ्गरवाद्यञो

ङीन्

।”

७३

इतिङीन्

)

नुर्नरस्य

वा

धर्म्माचारोऽस्याम्

नु-र्नरस्य

वेयम्

नरधर्म्माचारयुक्ता

तत्पर्य्यायः

स्त्री

योषित्

अबला

योषा

सीम-न्तिनी

वधूः

प्रतीपदर्शिनी

वामा

९वनिता

१०

महिला

११

इत्यमरः

प्रिया

१२

रामा

१३

जनिः

१४

जनी

१५योषिता

१६

जोषित्

१७

जोषा

१८

जोषिता१९

धनिका

२०

महेलिका

२१

महेला

२२

।इति

शब्दरत्नावली

शर्व्वरी

२३

योषीत्

२४सिन्दूरतिलका

२५

सुभ्रूः

२६

इति

जटाधरः

अस्या

उत्पत्तिकारणं

यथा,

--“मातृरक्तोत्तरा

नारी

।”

अन्यच्च

।“विषमायां

तिथौ

क्षिप्तं

कुर्य्याद्बीजन्तु

कन्य-काम्

”इति

सुखबोधः

तस्याश्चतस्रो

जातयः

यथा,

--“पद्मिनी

चित्रिणी

चैव

शङ्खिनी

हस्तिनी

तथा

।चतस्रो

जातयो

नार्य्या

रतौ

ज्ञेया

विशेषतः

”इति

रसमञ्जरी

(

आसां

लक्षणादिकं

यदुक्तं

रतिमञ्जर्य्याम्

।४

--

१३

।“भवति

कमलनेत्रा

नासिका

क्षुद्ररन्ध्राअविरलकुचयुग्मा

चारुकेशी

केशाङ्गी

।मृदुवचनशुशीला

गीतवाद्यानुरक्तासकलतनुसुवेशा

पद्मिनी

पद्मगन्धा

भवति

रतिरसज्ञा

नातिखर्व्वा

दीर्घातिलकुसुमसुनासा

स्निग्धनीलोत्पलाक्षी

।घनकठिनकुचाढ्या

सुन्दरी

बद्धशीलासकलगुणसमेता

चित्रिणी

चित्रवक्त्रा

दीर्घातिदीर्घनयना

वरसुन्दरी

याकामोपभोगरसिका

गुणशीलयुक्ता

।रेखात्रयेण

विभूषितकण्ठदेशासम्भोगकेलिरसिका

किल

शङ्खिनी

सा

स्थूलाधरा

स्थूलनितम्बभागास्थूलाङ्गुली

स्थूलकुचा

सुशीला

।कामोत्सुका

गाढरतिप्रिया

यानितान्तभोक्त्री

करिणी

मता

सा

शशके

पद्मिनी

तुष्टा

चित्रिणी

रमते

मृगम्

।वृषभे

शङ्खिनी

तुष्टा

हस्तिनी

रमते

हयम्

पद्मिनी

पद्मगन्धा

मीनगन्धा

चित्रिणी

।शङ्खिनी

क्षारगन्धा

मदगन्धा

हस्तिनी

बाला

तरुणी

प्रौढा

वृद्धा

भवति

नायिका

।गुणयोगेन

रन्तव्या

नारी

वश्या

भवेत्तदा

षोडशाद्

भवेद्बाला

तरुणी

त्रिंशका

मता

।पञ्चपञ्चाशका

प्रौढा

भवेद्वृद्धा

ततः

परम्

फलमूलादिभिर्बाला

तरुणी

रतियोगतः

।प्रेमदानादिभिः

प्रौढा

वृद्धा

दृढताडनात्

बाला

तु

प्राणदा

प्रोक्ता

तरुणी

प्राणहारिणी

।प्रौढा

करोति

वृद्धत्वं

वृद्धा

मरणमादिशेत्

)सा

त्रिविधा

यथा,

--“योषितस्त्रिविधा

ब्रह्मन्

!

गृहिणां

मूढचेतसाम्

।साध्वी

भोग्या

कुलटा

ताः

सर्व्वाः

स्वार्थतत्-पराः

।परलोकभयात्

साध्वी

तथेह

यशसात्मनः

।कामस्नेहाच्च

कुरुते

भर्त्तुः

सेवाञ्च

सन्ततम्

भोग्या

भोग्यार्थिनी

शश्वत्

कामस्नेहेऽथ

केव-लम्

।कुरुते

पतिसेवाञ्च

भोग्या

दृढेक्षणम्

वस्त्रालङ्कारसम्भोगं

सुस्निग्धाहारमुत्तमम्

।यावत्

प्राप्नोति

सा

भोग्या

तावच्च

वशगाप्रिया

कुलाङ्गारसमा

नारी

कुलटा

कुलकामिनी

।कपटात्

कुरुते

सेवां

स्वामिनो

भक्तितः

सदा

पुंयोगमाशंसुर्मनसा

मदनातुरा

।आहारादधिकं

जारं

प्रार्थयन्ती

नवं

नवम्

जारार्थे

स्वपतिं

तात

!

हन्तुमिच्छति

पुंश्चली

।तस्यां

यो

विश्वसेन्मूढो

जीवनन्तस्य

निष्फलम्

कथिता

योषितः

सर्व्वा

उत्तमाधममध्यमाः

।स्वात्मारामा

विजानन्ति

मनसा

तां

नपण्डिताः

तस्याः

स्वभावो

यथा,

--“हृदयं

क्षुरधाराभं

शरत्पद्मोत्सवं

मुखम्

।सुधोपमं

सुमधुरं

वचनं

स्वार्थसिद्धये

प्रकोपे

विषतुल्यं

तदनूहं

शीलकुत्सितम्

।दुर्ज्ञेयं

तदभिप्रायं

निगूढं

कर्म्म

केवलम्

तदा

तासामविनयं

प्रबलं

साहसं

परम्

।ददौ

कार्य्यच्छलात्

कार्य्यं

शश्वन्माया

दूरत्यया

पुंसश्चाष्टगुणः

कामः

शश्वत्कामो

जगद्गुरो

!

।आहारो

द्बिगुणो

नित्यं

नैष्ठुर्य्यञ्च

चतुर्गुणम्

।कोपः

पुंसः

षड्गुणश्च

व्यवसायश्च

निश्चितम्

यत्रेमे

दोषनिवहाः

कास्था

तत्र

पितामह

!

।का

क्रीडा

किं

सुखं

पुंसो

विण्मूत्राश्रयवेश्मनि

तेजः

प्रनष्टं

सम्भोगे

दिवालापे

यशःक्षयः

।धनक्षयस्त्वतिप्रीतौ

रत्यासक्तौ

वपुःक्षयः

साहित्ये

पौरुषं

नष्टं

कलहे

माननाशनम्

।सर्व्वनाशश्च

विश्वासे

ब्रह्मन्नारीषु

किं

सुखम्

यावद्धनी

तेजस्वी

सश्रीको

योग्यतापरः

।पुमान्नारीं

वशीकर्त्तुं

समर्थस्तावदेव

हि

रोगिणं

निर्गुणं

वृद्धं

योषिन्नापेक्षते

प्रियम्

।लोकाचारतया

तस्मै

ददात्याहारमल्पकम्

”इति

ब्रह्मवैवर्त्तपुराणे

ब्रह्मखण्डे

२३

अध्यायः

(

नारीचरित्रदूषणकारणानि

यथा,

हितोप-देशे

१३१

--

१३२

।“स्वातन्त्र्यं

पितृमन्दिरे

निवसतिर्यात्रीत्सवे

सङ्गतिःगोष्ठी

पूरुषसन्निधावनियमो

वासो

विदेशे

तथा

।संसर्गः

सह

पुंश्चलीभिरसकृत्

वृत्तेर्निजायाःक्षतिःपत्युर्वार्द्धकमीर्षितं

प्रवसनं

नाशस्य

हेतुःस्त्रियाः

”अपरञ्च,

--“पानं

दुर्ज्जनसंसर्गः

पत्या

विरहोऽटनम्

।स्वप्नश्चान्यगृहे

वासो

नारीर्णा

दूषणानि

षट्

”इयन्तु

यथानियमं

प्रतिपालिता

कल्याणकरीश्रीवृद्धिकारिणी

यदुक्तं

मनौ

५५

--

६०

।“पितृभिर्भ्रातृभिश्चैताः

पतिभिर्द्देवरैस्तथा

।पूज्या

भूषयितव्याश्च

बहुकल्याणमीप्सुभिः

यत्र

नार्य्यस्तु

पूज्यन्ते

रमन्ते

तत्र

देवताः

।यत्रैतास्तु

पूज्यन्ते

सर्व्वास्तत्राफलाः

क्रियाः

शोचन्ति

जामयो

यत्र

विनश्यत्याशु

तत्

कुलम्

।न

शोचन्ति

तु

यत्रैता

वर्द्धते

तद्धि

सर्व्वदा

जामयो

यानि

गेहानि

शपन्त्यप्रतिपूजिताः

।तानि

कृत्याहतानीव

विनश्यन्ति

समन्ततः

तस्मादेताः

सदा

पूज्या

भूषणाच्छादनाशनैः

।भूतिकामैर्नरैर्नित्यं

सत्कारेषूत्सवेषु

।सन्तुष्टो

भार्य्यया

भर्त्ता

भर्त्त्रा

भार्य्या

तथैव

।यस्मिन्नेव

कुले

नित्यं

कल्याणं

तत्र

वै

ध्रुवम्

)अगम्या

नार्य्यो

यथा,

--“माता

मातृष्वसा

श्वश्रूर्मातुलानी

पितृष्वसा

।पितृव्यसखिशिष्यस्त्री

भगिनी

तत्सखी

तथा

भागिनेयी

तथा

चैव

राजपत्नी

तथैव

।तथा

प्रव्रजिता

नारी

वर्णोत्कृष्ठा

तथैव

इत्यगम्यास्तु

निर्द्दिष्टास्तासान्तु

गमने

नरः

।शिश्नस्योत्कर्त्तनं

कृत्वा

ततस्तु

वधमर्हति

”इति

मत्स्यपुराणे

२०१

अध्यायः

तस्याः

शुभलक्षणं

यथा,

--“निगूढगुल्फौ

पतितौ

पद्मकान्तितलौ

शुभौ

।अस्वेदिनौ

मृदुतलौ

मत्स्याङ्कमकरान्वितौ

वज्राब्जहलचिह्नौ

दास्याः

पादौ

ततोऽन्यथा

।जङ्घे

त्त

रोमरहिते

सुवृत्ते

विशिरे

शुभे

अनुल्वणं

सन्धिदेशं

समं

जानुद्वयं

शुभम्

।ऊरू

करिकराकारावरोमौ

समौ

शुभौ

अश्वत्थपत्रसदृशं

विपुलं

गुह्यमुत्तमम्

।श्रोणीललाटकं

स्त्रीणामुरु

कूर्म्मोन्नतं

शुभम्

गूढो

मणिश्च

शुभदो

नितम्बश्च

गुरुः

शुभः

।विस्तीर्णमांसोपचिता

गम्भीरा

विपुला

शुभा

नाभिः

प्रदक्षिणावर्त्ता

मध्यं

त्रिवलिशोभनम्

।अरोमशौ

स्तनौ

पीनौ

घनावविषमौ

शुभौ

कठिनावरोम

उरो

मृदुग्रीवा

कम्बुता

।आरक्तावधरौ

श्रेष्ठौ

मांसलं

वर्त्तुलं

मुखम्

कुन्दपुष्पसमा

दन्ता

भाषितं

कोकिलासमम्

।दाक्षिण्ययुक्तमशठं

हंसशब्दसुखावहम्

नासा

समा

समपुटा

स्त्रीणान्तु

रुचिरा

शुभा

।नीलोत्पलनिभं

चक्षुर्नासंलग्नौ

लम्बकौ

पृथू

बालेन्दुनिभे

भ्रुवौ

चाथ

ललाटकम्

।शुभमर्द्धेन्दुसंस्थानमतुङ्गं

स्यादलोमशम्

अमांसलं

कर्णयुगं

समं

मृदु

समाहितम्

।स्निग्धा

नीलाश्च

मृदवो

मूर्द्धजाः

कुञ्चितैकजाः

स्त्रीणां

समं

शिरः

श्रेष्ठं

पादे

पाणितले

तथा

।वाजिकुञ्जरश्रीवृक्षयूपेषु

यवतोमरैः

ध्वजचामरमालाभिः

शैलकुण्डलवेदिभिः

।शङ्खातपत्रपद्मैश्च

मत्स्यस्वस्तिकसद्रथैः

।लक्षणैरङ्कुशाद्यैश्च

स्त्रियः

स्यू

राजवल्लभाः

निगूढमणिवन्धौ

पद्मगर्भोपमौ

करौ

।न

निम्नं

नोन्नतं

स्त्रीणां

भवेत्

करतलं

शुभम्

रेखान्वितान्त्वविधवां

कुर्य्यात्

सम्भोगिनीं

स्त्रियम्

।रेखा

या

मणिबन्धोत्था

गता

मध्याङ्गुलीं

करे

गता

पाणितले

या

योर्द्ध्वा

पादतले

स्थिता

।स्त्रीणां

पुंसां

तथा

सा

स्याद्राज्याय

सुस्वायच

कनिष्ठिका

मूलरेखा

कुर्य्याच्चैव

शतायुषम्

।प्रदेशिनीमध्यमाभ्यामन्तरालगता

सती

ऊना

ऊनायुषं

कुर्य्याहेखा

चाङ्गुष्ठमूलगा

।बृहत्यः

पुत्त्रास्तन्व्यस्तु

प्रमदाः

परिकीर्त्तिताः

अल्पायुषे

लघु

छिन्ना

दीर्घा

छिन्ना

महायुषे

।शुभन्तु

लक्षणं

स्त्रीणां

प्रोक्तं

त्वशुभमन्यथा

*

तस्या

अशुभलक्षणं

यथा,

--“कनिष्ठिकानामिका

वा

यस्या

स्पृशते

महीम्

।अङ्गुष्ठं

वा

गतौ

यस्यास्तर्ज्जनी

कुलटा

सा

ऊर्द्ध्वद्बाभ्यां

पिण्डिकाभ्यां

जङ्घे

चातिशिरालके

।रोमशे

चातिमांसे

कुम्भाकारं

तथोदरम्

वामावर्त्तं

निम्नमल्पं

दुःखितानाञ्च

गुह्यकम्

।ग्रीवया

ह्नस्वया

निस्वा

दीर्घया

कुलक्षयः

पृथुलया

प्रचण्डाश्च

स्त्रियः

स्युर्नात्र

संशयः

।केकरे

पिङ्गले

नेत्रे

श्यावे

लोलेक्षणासती

सिते

कूपे

गण्डयोश्च

सा

ध्रुवं

व्यभिचारिणी

।प्रलम्बिनि

ललाटे

देवरं

हन्ति

चाङ्गना

उदरे

श्वशुरं

हन्ति

पतिं

हन्ति

स्फिचोर्द्ध्वयोः

।या

तु

रोमोत्तरौष्ठी

स्यान्न

शुभा

भर्त्तुरेव

हि

स्तनौ

सरोमावशुभौ

कर्णौ

विषमौ

तथा

।करालविषमा

दन्ताः

क्लेशाय

भयाय

चौर्य्याय

कृष्टमांसाश्च

दीर्घा

भर्त्तुश्च

मृत्यवे

।क्रव्यादरूपैर्हस्तैश्च

वृककाकादिसन्निभैः

सिरालैर्विषमैः

शुष्कैर्वित्तहीना

भवन्ति

हि

।समुन्नतोत्तरोष्ठी

या

कलहे

रूक्षकेशिनी

स्त्रीषु

दोषा

विरूपाक्ष

!

यत्राकारो

गुणस्ततः

”इति

गरुडपुराणम्

(

त्र्यक्षरवृत्तिविशेषः

इति

छन्दोमञ्जरी

)

Vachaspatyam Sanskrit

नारी

स्त्री

नरजातिः

स्त्री

नृ

+

नर

+

वा

जातौ

ङीष्

नि०

।१

नरजातिस्त्रियां

तद्भेदा

रतिमञ्जर्य्यामुक्ता

यथा

“पद्मिनीचित्रिणी

चैव

शङ्खिनी

हस्तिनी

तथा

चतस्रो

जातयोनार्य्या

रतौ

ज्ञेया

विशेषतः”

अन्यथाऽपि

त्रिधा

“योषि-तस्त्रिविधा

ब्रह्मन्

गृहिणां

मूढचेतसाम्

साध्वी

भोग्याच

कुलटा

ताः

सर्वाः

स्वार्थतत्पराः

परलोकभयात्साध्वी

तथेह

यशसेऽर्थतः

कामस्नेहाच्च

कुरुते

भर्त्तुःसेवाञ्च

सन्ततम्

भोग्या

भोगार्थिनी

शश्वत्

काम-स्नेहेऽथ

केवलम्

कुरुते

पतिसेवाञ्च

भोगादृते

क्षणम्

वस्त्रालङ्कारसम्भोगं

सुस्निग्धाहारमुत्तमम्

यावत्

प्राप्नोति

सा

भोग्या

तावच्च

वशगा

प्रिया

।कुलाङ्गारसमा

नारी

कुलटा

कुलनाशिनी

कपटात्कुरुते

सेवां

स्वामिनो

भक्तितः

सदा

पुंयोगमाशंसुर्मनसा

मदनातुरा

आहारादधिकं

जारं

प्रार्थयन्तीनवं

नवम्

जारार्थे

स्वपतिं

तात!

हन्तुमिच्छति

पुं-श्चली

तस्यां

यो

विश्वमेन्मूढो

जीवनं

तस्य

निष्फलम्

।कथिता

योषितः

सर्वा

उत्तमाधममध्यमाः

स्वात्मारामाविजानन्ति

मनसा

ता

पण्डिताः”

ब्रह्मवै०

ब्रह्म०

ख०२३

अ०

गुरुत्रयपादके

छन्दोभेदे

“मो

नारी”

वृ०

र०

Capeller German

ना॑री

Feminine.

s.

नार.

Grassman German

nā́ri,

nā́rī,

f.

[

von

nár

],

Weib,

Eheweib.

-i

[

V.

]

{844,

8}.

[

N.

s.

]

{28,

3}

{73,

3}

{312,

10}

{536,

5}

{621,

34}

{912,

10}.

-īm

{906,

1}.

[

du.

]

{919,

1}

(

ródasī

).

-īs

[

N.

p.

]

{92,

3}

(

apásas

)

{226,

5}

(

tisrás

)

{844,

7}

(

supátnīs

).

-īs

[

A.

]

{571,

8}.

-ibhyas

{686,

8}

nebeṇ

nṛ́bhyas.

-ibhias

{43,

6}

neben

nṛ́bhyas

und

gáve.

-iṣu

{912,

11}

indrāṇī́m

āsú

〰.

Burnouf French

नारी

नारी

feminine

(

नर

)

femme

mot

féminin,

tg.

Stchoupak French

नारी-

Feminine.

(

et

cf.

नार-

)

femme,

épouse

être

féminin

en

général

-क-

ifc.

a.

id.

-मयई-

a.

qui

ne

comporte

que

des

femmes.

°तीर्थ-

nt.

Plural

les

5

baignades

sacrées

assignées

aux

femmes.

°दूषण-

nt.

(

défaut

)

qui

déshonore

une

femme.

°नाथ-

a.

possédé

par

une

femme.

°पुर-

nt.

gynécée.

°यान-

nt.

voiture

de

femme

ou

qui

appartient

à

la

femme.