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नन्दिनी (nandinI)

 
Spoken Sanskrit English

नन्दिनी

-

nandinI

-

Feminine

-

particular

composition

नन्दिनी

-

nandinI

-

Feminine

-

daughter

नन्दिनी

-

nandinI

-

Feminine

-

husband's

sister

नन्दिनी

-

nandinI

-

Feminine

-

kind

of

metre

नन्दिनी

-

nandinI

-

Feminine

-

kind

of

perfume

नन्दिनी

-

nandinI

-

Feminine

-

sister

of

husband

Monier Williams Cologne English

नन्दिनी

feminine.

a

daughter,

mahābhārata

et cetera.

a

husband's

sister

(

equal, equivalent to, the same as, explained by.

ननान्दृ

),

Lexicographers, esp. such as amarasiṃha, halāyudha, hemacandra, &c.

nalopākhyāna

of

Durgā,

matsya-purāṇa

of

Gaṅgā,

Lexicographers, esp. such as amarasiṃha, halāyudha, hemacandra, &c.

of

the

river

Bāṇa-nāśa,

brahma-purāṇa

of

one

of

the

Mātṛs

attending

on

Skanda,

mahābhārata

of

a

fabulous

cow

(

mother

of

Surabhi

and

property

of

the

sage

Vasiṣṭha

),

mahābhārata

raghuvaṃśa

of

the

mother

of

Vyāḍi,

Lexicographers, esp. such as amarasiṃha, halāyudha, hemacandra, &c.

nalopākhyāna

of

sev.

plants

(

equal, equivalent to, the same as, explained by.

तुलसी,

जटामांसी

et cetera.

),

Lexicographers, esp. such as amarasiṃha, halāyudha, hemacandra, &c.

a

kind

of

perfume

(

रेणुका

),

bhāvaprakāśa

a

kind

of

metre,

Colebrooke

(

in

music

)

a

partic.

composition

nalopākhyāna

of

a

locality,

mahābhārata

of

Comm.

on

manu-smṛti

Macdonell English

नन्दिनी

nandin-ī,

Feminine.

daughter

ep.

of

Durgā

🞄N.

of

a

fabulous

cow.

Chandas Sanskrit

सम-वृत्तम्,

अक्षराणि →

52,

पादेऽक्षराणि →

13

मात्राः →

18

सङ्ख्याजातिः

-

अतिजगती

मात्रा-विन्यासः

दा

दा

दा

दा

दा

लक्षण-मूलम् →

वृत्तरत्नाकरः

Apte Hindi Hindi

नन्दिनी

स्त्रीलिङ्गम्

-

-

पुत्री

नन्दिनी

स्त्रीलिङ्गम्

-

-

"ननद,

पति

की

बहन"

नन्दिनी

स्त्रीलिङ्गम्

-

-

"काल्पनिक

गाय,

कामधेनु"

नन्दिनी

स्त्रीलिङ्गम्

-

-

गंगा

का

विशेषण

नन्दिनी

स्त्रीलिङ्गम्

-

-

पवित्र

काली

तुलसी

Shabdartha Kaustubha Kannada

नन्दिनी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ದುರ್ಗಾದೇವಿ

/ಪಾರ್ವತಿ

निष्पत्तिः

टुनदि

(

समृद्धौ

)

-

"णिनिः"

(

३-१-१३४

)

"ङीप्"

(

४-१-५

)

नन्दिनी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ಮಗಳು

प्रयोगाः

"नन्दगोपस्य

नन्दिनी"

"तेषां

वधूस्त्वमसि

नन्दिनि

पार्थिवानाम्"

उल्लेखाः

उ०

रा०

१-९

नन्दिनी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ಪತಿಯ

ಸಹೋದರಿ

/ಗಂಡನ

ಒಡಹುಟ್ಟಿದವಳು

नन्दिनी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ನಂದಿನೀಧೇನು

/ವಸಿಷ್ಠಮಹರ್ಷಿಯ

ಹೋಮಧೇನು

प्रयोगाः

"इति

वादिन

एवास्य

होतुराहुतिसाधनम्

।अनिन्द्या

नन्दिनी

नाम

धेनुराववृते

वनात्

॥"

उल्लेखाः

रघु०

१-८२

नन्दिनी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ಗಂಗಾನದಿ

विस्तारः

"नन्दिन्युमायां

गङ्गायां

ननन्दृधेनुभेदयोः"

-

मेदि०

नन्दिनी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ಸುರಸುರಕೆ

ಗಿಡ

नन्दिनी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ವ್ಯಾಡಿಯ

ತಾಯಿ

नन्दिनी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ಜಟಾಮಾಂಸಿ

L R Vaidya English

naMdinI

{%

f.

%}

1.

A

daughter

2.

a

husband’s

sister

3.

a

fabulous

cow,

daughter

of

Surabhi,

granting

all

desires,

owned

by

Vasishṭha,

अनिंद्या

नंदिनी

नाम

धेनुराववृते

वनात्

R.i.82,

ii.69

4.

an

epithet

of

the

Ganges.

Bopp Latin

नन्दिनी

f.

(

a

नन्दिन्

exhilarans

-

r.

नन्द्

s.

इन्-

signo

fem.

)

filia,

in

fine

compp.

N.

12.

9.

60.

Aufrecht Catalogus Catalogorum English

नन्दिनी

Mānavadharmaśāstraṭīkā

by

Nandana.

Burnell

126^a.

Edgerton Buddhist Hybrid English

Nandinī,

n.

of

a

devakumārikā

in

the

eastern

quarter:

LV

〔388.10〕

=

Mv

〔iii.306.7〕.

Schmidt Nachtrage zum Sanskrit Worterbuch German

नन्दिनी

°

=

उज्जयिनी,

S

I,

135,

1.

Wordnet Sanskrit

Synonyms

नन्दिनी

(Noun)

वर्णवृत्तविशेषः।

"नन्दिन्यां

त्रयोदश

वर्णाः

सन्ति।"

Synonyms

नन्दिनी

(Noun)

हिन्दूधर्मग्रन्थेषु

वर्णिता

वसिष्ठमुनेः

धेनुः।

"नन्दिनीं

सेवित्वा

राजा

दिलीपः

रघुनामकं

पुत्रं

प्राप्तवान्।"

Synonyms

ननान्दा,

नन्दिनी,

नन्दा,

पतिस्वसा

(Noun)

भर्तुः

भगिनी।

"सुभद्रा

सत्यभामायाः

ननान्दा

आसीत्।"

Synonyms

दुर्गा,

उमा,

कात्यायनी,

गौरी,

ब्रह्माणी,

काली,

हैमवती,

ईश्वरा,

शिवा,

भवानी,

रुद्राणी,

सर्वाणी,

सर्वमङ्गला,

अपर्णा,

पार्वती,

मृडानी,

लीलावती,

चणडिका,

अम्बिका,

शारदा,

चण्डी,

चण्डा,

चण्डनायिका,

गिरिजा,

मङ्गला,

नारायणी,

महामाया,

वैष्णवी,

महेश्वरी,

कोट्टवी,

षष्ठी,

माधवी,

नगनन्दिनी,

जयन्ती,

भार्गवी,

रम्भा,

सिंहरथा,

सती,

भ्रामरी,

दक्षकन्या,

महिषमर्दिनी,

हेरम्बजननी,

सावित्री,

कृष्णपिङ्गला,

वृषाकपायी,

लम्बा,

हिमशैलजा,

कार्त्तिकेयप्रसूः,

आद्या,

नित्या,

विद्या,

शुभह्करी,

सात्त्विकी,

राजसी,

तामसी,

भीमा,

नन्दनन्दिनी,

महामायी,

शूलधरा,

सुनन्दा,

शुम्यभघातिनी,

ह्री,

पर्वतराजतनया,

हिमालयसुता,

महेश्वरवनिता,

सत्या,

भगवती,

ईशाना,

सनातनी,

महाकाली,

शिवानी,

हरवल्लभा,

उग्रचण्डा,

चामुण्डा,

विधात्री,

आनन्दा,

महामात्रा,

महामुद्रा,

माकरी,

भौमी,

कल्याणी,

कृष्णा,

मानदात्री,

मदालसा,

मानिनी,

चार्वङ्गी,

वाणी,

ईशा,

वलेशी,

भ्रमरी,

भूष्या,

फाल्गुनी,

यती,

ब्रह्ममयी,

भाविनी,

देवी,

अचिन्ता,

त्रिनेत्रा,

त्रिशूला,

चर्चिका,

तीव्रा,

नन्दिनी,

नन्दा,

धरित्रिणी,

मातृका,

चिदानन्दस्वरूपिणी,

मनस्विनी,

महादेवी,

निद्रारूपा,

भवानिका,

तारा,

नीलसरस्वती,

कालिका,

उग्रतारा,

कामेश्वरी,

सुन्दरी,

भैरवी,

राजराजेश्वरी,

भुवनेशी,

त्वरिता,

महालक्ष्मी,

राजीवलोचनी,

धनदा,

वागीश्वरी,

त्रिपुरा,

ज्वाल्मुखी,

वगलामुखी,

सिद्धविद्या,

अन्नपूर्णा,

विशालाक्षी,

सुभगा,

सगुणा,

निर्गुणा,

धवला,

गीतिः,

गीतवाद्यप्रिया,

अट्टालवासिनी,

अट्टहासिनी,

घोरा,

प्रेमा,

वटेश्वरी,

कीर्तिदा,

बुद्धिदा,

अवीरा,

पण्डितालयवासिनी,

मण्डिता,

संवत्सरा,

कृष्णरूपा,

बलिप्रिया,

तुमुला,

कामिनी,

कामरूपा,

पुण्यदा,

विष्णुचक्रधरा,

पञ्चमा,

वृन्दावनस्वरूपिणी,

अयोध्यारुपिणी,

मायावती,

जीमूतवसना,

जगन्नाथस्वरूपिणी,

कृत्तिवसना,

त्रियामा,

जमलार्जुनी,

यामिनी,

यशोदा,

यादवी,

जगती,

कृष्णजाया,

सत्यभामा,

सुभद्रिका,

लक्ष्मणा,

दिगम्बरी,

पृथुका,

तीक्ष्णा,

आचारा,

अक्रूरा,

जाह्नवी,

गण्डकी,

ध्येया,

जृम्भणी,

मोहिनी,

विकारा,

अक्षरवासिनी,

अंशका,

पत्रिका,

पवित्रिका,

तुलसी,

अतुला,

जानकी,

वन्द्या,

कामना,

नारसिंही,

गिरीशा,

साध्वी,

कल्याणी,

कमला,

कान्ता,

शान्ता,

कुला,

वेदमाता,

कर्मदा,

सन्ध्या,

त्रिपुरसुन्दरी,

रासेशी,

दक्षयज्ञविनाशिनी,

अनन्ता,

धर्मेश्वरी,

चक्रेश्वरी,

खञ्जना,

विदग्धा,

कुञ्जिका,

चित्रा,

सुलेखा,

चतुर्भुजा,

राका,

प्रज्ञा,

ऋद्भिदा,

तापिनी,

तपा,

सुमन्त्रा,

दूती,

अशनी,

कराला,

कालकी,

कुष्माण्डी,

कैटभा,

कैटभी,

क्षत्रिया,

क्षमा,

क्षेमा,

चण्डालिका,

जयन्ती,

भेरुण्डा

(Noun)

सा

देवी

यया

नैके

दैत्याः

हताः

तथा

या

आदिशक्तिः

अस्ति

इति

मन्यते।

"नवरात्रोत्सवे

स्थाने

स्थाने

दुर्गायाः

प्रतिष्ठापना

क्रियते।"

Synonyms

गङ्गा,

मन्दाकिनी,

जाह्नवी,

पुण्या,

अलकनन्दा,

विष्णुपदी,

जह्नुतनया,

सुरनिम्नगा,

भागीरथी,

त्रिपथगा,

तिस्त्रोताः,

भीष्मसूः,

अर्घ्यतीर्थम्,

तीर्थरीजः,

त्रिदशदीर्घिका,

कुमारसूः,

सरिद्वरा,

सिद्धापगा,

स्वरापगा,

स्वर्ग्यापगा,

खापगा,

ऋषिकुल्या,

हैमव्रती,

सर्वापी,

हरशेखरा,

सुरापगा,

धर्मद्रवी,

सुधा,

जह्नुकन्या,

गान्दिनी,

रुद्रशेखरा,

नन्दिनी,

सितसिन्धुः,

अध्वगा,

उग्रशेखरा,

सिद्धसिन्धुः,

स्वर्गसरीद्वरा,

समुद्रसुभगा,

स्वर्नदी,

सुरदीर्घिका,

सुरनदी,

स्वर्धुनी,

ज्येष्ठा,

जह्नुसुता,

भीष्मजननी,

शुभ्रा,

शैलेन्द्रजा,

भवायना,

महानदी,

शैलपुत्री,

सिता,

भुवनपावनी,

शैलपुत्री

(Noun)

भारतदेशस्थाः

प्रधाना

नदी

या

हिन्दुधर्मानुसारेण

मोक्षदायिनी

अस्ति

इति

मन्यन्ते।

"धर्मग्रन्थाः

कथयन्ति

राज्ञा

भगीरथेन

स्वर्गात्

गङ्गा

आनीता।

"

Synonyms

तनया,

कन्या,

सुता,

आत्मजा,

दुहिता,

पुत्री,

कन्यका,

नन्दिनी,

अकृता,

अङ्गजा

(Noun)

स्त्री

अपत्यम्।

"स

उत्तरस्य

तनयाम्

उपयेमे

इरावतीम्।"

Synonyms

पार्वती,

अम्बा,

उमा,

गिरिजा,

गौरी,

भगवती,

भवानी,

मङ्गला,

महागौरी,

महादेवी,

रुद्राणी,

शिवा,

शैलजा,

हिमालयजा,

अम्बिका,

अचलकन्या,

अचलजा,

शैलसुता,

हिमजा,

शैलेयी,

अपर्णा,

शैलकुमारी,

शैलकन्या,

जगद्जननी,

त्रिभुवनसुन्दरी,

सुनन्दा,

भवभामिनी,

भववामा,

जगदीश्वरी,

भव्या,

पञ्चमुखी,

पर्वतजा,

वृषाकपायी,

शम्भुकान्ता,

नन्दा,

जया,

नन्दिनी,

शङ्करा,

शताक्षी,

नित्या,

मृड़ानी,

हेमसुता,

अद्रितनया,

हैमवती,

आर्या,

इला,

वारुणी

(Noun)

शिवस्य

पत्नी।

"पार्वती

गणेशस्य

माता

अस्ति।"

Synonyms

नन्दिनी

(Noun)

एका

टीका

"नन्दिनी

इति

मनुस्मृतेः

टीका

वर्तते"

Synonyms

नन्दिनी

(Noun)

व्याडेः

माता

"नन्दिनी

कोशे

परिगणिता"

Synonyms

नन्दिनी

(Noun)

स्कन्दस्य

एका

माता

"नन्दिन्याः

उल्लेखः

महाभारते

वर्तते"

Synonyms

नन्दिनी,

बाणनाशा

(Noun)

एका

नदी

"नन्दिन्याः

उल्लेखः

ब्रह्मपुराणे

वर्तते"

Tamil Tamil

நந்தி3னீ

:

மகள்,

கணவனின்

சஹோதரி,

தெய்வீகப்

பசு,

கங்கை,

கருப்பு

துளசி.

Mahabharata English

Nandinī^1,

the

cow

of

Vasishṭha:

§

164

(

Āpavop.

):

I,

99,

3933

(

daughter

of

Surabhi

and

Kaśyapa

).--§

223

(

Vāsishṭha

):

I,

175,

6663,

6664,

6665,

6669,

6670,

6672,

6673,

6675,

(

6677

).

Nandinī^2,

a

tīrtha.

§

370

(

Tīrthayātrāp.

):

III,

84,

8133

(

bathing

there

one

acquires

the

merit

of

a

human

sacrifice

).

Nandinī^3,

a

mātṛ.

§

615u

(

Skanda

):

IX,

46,

2623.

Purana English

नन्दिनी

/

NANDINĪ

I.

A

cow

of

the

world

of

the

gods

(

devas

).

(

See

under

kāmadhenu

).

नन्दिनी

/

NANDINĪ

II.

A

holy

place.

In

this

place

there

is

a

well

esteemed

by

the

gods.

It

is

mentioned

in

mahābhārata,

Vana

Parva,

Chapter

84,

Stanza

15,

that

those

who

bathe

in

this

holy

well

will

obtain

the

fruits

of

Naramedhayajña

(

human

sacrifice

).

Kalpadruma Sanskrit

नन्दिनी,

स्त्रीलिङ्गम्

(

नन्दयतीति

नन्दि

+

णिर्निः

।ङीप्

)

रेणुका

इति

राजनिर्घण्टः

(

अस्यपर्य्यायो

यथा,

भावप्रकाशे

।“रेणुका

राजपुत्त्री

नन्दिनी

कपिला

द्विजा

”जटामांसी

तत्पर्य्यायो

यथा,

वैद्यकरत्न-मालायाम्

।“नलदं

नन्दिनी

पेषी

मांसी

कृष्णजटा

जटी

।किरातिनी

जटिला

लोमशा

तु

तपस्विनी

)उमा

गङ्गा

ननान्दा

वशिष्ठधेनुः

इतिमेदिनी

ने,

८१

सा

धेनुः

सुरभिकन्या

।यथा,

दिलीपं

प्रति

वशिष्ठवाक्यम्

।“पुरा

शक्रमुपस्थाय

तवोर्व्वीं

प्रति

यास्यतः

।आसीत्

कल्पतरुच्छायामाश्रिता

सुरभिः

पथि

इमां

देवीमृतुस्नातां

श्रुत्वा

सपदि

सत्वरः

।प्रदक्षिणक्रियार्हायां

तस्यां

त्वं

साधुनाचरः

अवजानासि

मां

यस्मादतस्ते

भविष्यति

।मत्प्रसूतिमनाराध्य

प्रजेति

त्वां

शशाप

सा

”“इति

वादिन

एवास्य

होतुराहुतिसाधनम्

।अनिन्द्या

नन्दिनी

नाम

धेनुराववृते

वनात्

”इति

रघुः

७५-८२

इमामेवाराध्य

लब्धवरो

दिलीपो

रघुनामानंवंशतिलकं

पुत्त्रं

लब्धवान्

*

द्योनामा

वसुः

पत्नीवाक्यात्

एनां

हृत्वा

वशिष्ठ-शापतः

पृथिव्यां

भीष्मनाम्ना

विख्यात

आसीत्

।एतत्कथा

यथा,

महाभारते

९९

११-३९

।“अथ

तद्वनमाजग्मुः

कदाचिद्भरतर्षभ

!

।पृथ्वाद्या

वसवः

सर्व्वे

देवा

देवर्षिसेवितम्

ते

सदारा

वनं

तच्च

सञ्चरन्तः

समन्ततः

।रेमिरे

रमणीयेषु

पर्व्वतेषु

वनेषु

तत्रैकस्याथ

भार्य्या

तु

वसोर्वासवविक्रम

!

।सञ्चरन्ती

वने

तस्मिन्

गां

ददर्श

सुमध्यमा

नन्दिनीं

नाम

राजेन्द्र

!

सर्व्वकामधुगुत्तमाम्

सा

विस्मयसमाविष्टा

शीलद्रविणसम्पदा

।द्यवे

वै

दर्शयामास

तां

गां

गोवृषभेक्षणाम्

स्वापीनाञ्च

सुदोग्ध्रीञ्च

सुबालधिखुरां

शुभाम्

।उपपन्नां

गुणैः

सर्व्वैः

शीलेनानुत्तमेन

एवं

गुणसमायुक्तां

वसवे

वसुनन्दिनी

।दर्शयामास

राजेन्द्र

पुरा

पौरवनन्दन

!

द्यौस्तदा

तां

तु

दृष्ट्वैव

गां

गजेन्द्रेन्द्रविक्रम

!

।उवाच

राजंस्तां

देवीं

तस्या

रूपगुणान्

वदन्

एषा

गौरुत्तमा

देवी

वारुणेरसितेक्षणा

।ऋषेस्तस्य

वरारोहे

!

यस्येदं

वनमुत्तमम्

अस्याः

क्षीरं

पिबेन्मर्त्यः

स्वादु

यो

वै

सुमध्यमे

!

।दशवर्षसहस्राणि

जीवेत्

स्थिरयौवनः

एतत्

श्रत्वा

तु

सा

देवी

नृपोत्तम

!

सुमध्यमा

।तमुवाचानवद्याङ्गी

भर्त्तारं

दीप्ततेजसम्

अस्ति

मे

मानुषे

लोके

नरदेवात्मजा

सखी

।नाम्ना

जितवती

नाम

रूपयौवनशालिनी

उशीनरस्य

राजर्षेः

सत्यसन्धस्य

धीमतः

।दुहिता

प्रथिता

लोके

मानुषे

रूपसम्पदा

तस्या

हेतोर्महाभाग

!

सवत्सां

गां

ममेप्सिताम्

।आनयस्वामरश्रेष्ठ

!

त्वरितं

पूण्यवर्द्धन

!

यावदस्याः

पयः

पीत्वा

सा

सखी

मम

मानद

!

।मानुषेषु

भवत्वेका

जरारोगविवर्ज्जिता

एतन्मम

महाभाग

कर्त्तुमर्हस्यनिन्दित

।प्रियं

प्रियतरं

ह्यस्मान्नास्ति

मेऽन्यत्

कथश्चन

एतत्

श्रुत्वा

वचस्तस्या

देव्याः

प्रियचिकीर्षया

।पृथ्वाद्यैर्भ्रातृभिः

सार्द्धं

द्यौस्तदा

तां

जहार

गाम्

तया

कमलपत्राक्ष्या

नियुक्तो

द्यौस्तदा

नृप

!

।ऋषेस्तस्य

तपस्तीव्रं

शशाक

निरीक्षितुम्

।हृता

गौः

सा

तदा

तेन

प्रपातस्तु

तर्कितः

अथाश्रमपदं

प्राप्तः

फलान्यादाय

वारुणिः

।न

चापश्यत्

गां

तत्र

सवत्सां

काननोत्तमे

ततः

मृगयामास

वने

तस्मिंस्तपोधनः

।नाध्यगच्छच्च

मृगयंस्तां

गां

मुनिरुदारधीः

ज्ञात्वा

तथापनीतां

तां

वसुभिर्दिव्यदर्शनः

।ययौ

क्रोधवशं

सद्यः

शशाप

वसूंस्तदा

यस्मान्मे

वसवो

जह्रुर्गां

वै

दोग्ध्रीं

सुबालधिम्

।तस्मात्

सर्व्वे

जनिष्यन्ति

मानुषेषु

संशयः

एवं

शशाप

भगवान्

वसूंस्तान्

भरतर्षभ

!

।वशं

क्रोधस्य

संप्राप्त

आपवो

मुनिसत्तमः

।शप्त्वा

तान्

महाभागस्तपस्येव

मनो

दधे

एवं

शप्तवान्

राजन्

!

वसूनष्टौ

तपोधनः

।महाप्रभावो

ब्रह्मर्षिर्देवान्

क्रोधसमन्वितः

अथाश्रमपदं

प्राप्तास्ते

वै

भूयो

महात्मनः

।शप्ताः

स्म

इति

जानन्त

ऋषिं

तमुपचक्रमुः

प्रसादयन्तस्तमृषिं

वसवः

पार्थिवर्षभ

!

।लेभिरे

तस्मात्ते

प्रसादमृषिसत्तमात्

।आपवात्

पुरुषव्याघ्र

!

सर्व्वधर्म्मविशारदात्

उवाच

धर्म्मात्मा

शप्ता

यूयं

धरादयः

।अनुसंवत्सरात्

सर्व्वे

शापमोक्षमवाप्स्यथ

अयन्तु

यत्कृते

यूयं

मया

शप्ताः

वत्स्यति

।द्यौस्ततो

मानुषे

लोके

दीर्घकालं

स्वकर्म्मणा

नानृतं

तच्चिकीर्षामि

युष्मान्

क्रुद्धो

यदब्रुवम्

।न

प्रजास्यति

चाप्येष

मानुषेषु

महामनाः

भविष्यति

धर्म्मात्मा

सर्व्वशास्त्रविशारदः

।पितुः

प्रियहिते

युक्तः

स्त्रीभोगान्

वर्ज्जयिष्यति

)तस्याः

प्रभावो

यथा,

--“वशिष्ठस्याश्रमपदं

ब्रह्मस्थानमनुत्तमम्

।अपश्यज्जयतां

श्रेष्ठो

विश्वामित्रो

महामनाः

ततो

वशिष्ठो

भगवान्

कथान्ते

मुनिसत्तमः

।विश्वामित्रमिदं

वाक्यमुवाच

प्रहसन्निव

आतिथ्यं

कर्त्तमिच्छामि

बलस्यास्य

महाबलः

।तव

चैवाप्रमेयस्य

यथार्हं

प्रतिगृह्यताम्

वाढमित्येव

गाधेयो

वशिष्ठं

प्रत्युवाच

।एवमुक्तो

महातेजा

वशिष्ठो

जपतां

वरः

आजुहाव

ततः

प्रीतः

कल्माषीं

धुतकल्मषाम्

।भोजनेन

महार्हेण

सत्कारं

तद्बिधत्स्व

मे

एवमुक्ता

वशिष्ठेन

शबला

शत्रुसूदन

!

।विदधे

विविधान्

कामान्

यस्य

यस्य

यथेप्सितान्

सान्तःपुरजनो

राजा

सब्राह्मणपुरोहितः

।युक्तः

परमहर्षेण

वशिष्ठमिदवब्रवीत्

गवां

शतसहसेण

दीयतां

शबला

मम

।एवमुक्तस्तु

भगवान्

वशिष्ठो

मुनिसत्तमः

विश्वामित्रेण

धर्म्मात्मा

प्रत्युवाच

महीपतिम्

।कारणैर्बहुभी

राजन्न

दास्ये

नन्दिनीं

तव

कामधेनुं

वशिष्ठोऽसौ

तत्याज

यदा

मुनिः

।ततोऽस्य

शबलां

राजा

विश्वामित्रस्तदाहरत्

तस्या

हम्बारवाज्जाताः

काम्बोजा

रविसन्निभाः

।ऊधसश्चाभिसंजाताः

पह्नवाः

शस्त्रपाणयः

योनिदेशाच्च

यवनाः

शकृद्देशाच्छकास्तथा

।रोमकूपेषु

म्लेच्छास्तथा

रामकिरातकाः

तैस्तन्निसूदितं

सैन्यं

विश्वामित्रस्य

तत्क्षणात्

।सपदातिगजं

साश्वं

सरथं

रघुनन्दन

!

”इति

रामायणे

आदिकाण्डम्

(

एतद्विवरणं

महाभारते

१७७

अध्याये

चविस्तरशो

द्रष्टव्यम्

कन्या

यथा,

हरिवंशे

।१७६

।“मेध्यां

गोकुलसम्भूतां

नन्दगोपस्य

नन्दिनीम्

”आनन्दजननात्

पत्न्यपि

यथा,

महाभारते

।१

९९

१६

।“एवं

गुणसमायुक्तां

वसवे

वसुनन्दिनी

।दर्शयामास

राजेन्द्र

!

पुरा

पौरवनन्दनः

”“वसुनन्दिनी

वसुप्रिया

।”

इति

नीलकण्ठः

स्कन्दानुचरमातृगणविशेषः

यथा,

महा-भारते

४६

।“शृणु

मातृगणान्

राजन्

!

कुमारानुचरानि-मान्

”“वसुदामा

सुदामा

विशोका

नन्दिनी

तथा

”तीर्थविशेषः

यथा,

महाभारते

८४

।१४५

।“नन्दिन्याञ्च

समासाद्य

कूपं

देवनिषेवितम्

।नरमेधस्य

यत्

पुण्यं

तदाप्नोति

नराधिप

!

”व्याडिमुनिमाता

इति

हेमचन्द्रः

५१६

त्रयोदशाक्षरवृत्तिविशेषः

अस्य

विवरणं

छन्दः-शब्दे

द्रष्टव्यम्

दुर्गा

इयन्तु

देविकातटे

पीठ-स्थाने

विराजते

यथा,

देवीभागवते

।३३

६९

।“शिवकुण्डे

शुभा

नन्दा

नन्दिनी

देविकातटे

)

Vachaspatyam Sanskrit

नन्दिनी

स्त्री

नन्द--णिनि

ङीप्

दुर्गायां

गङ्गायां

न-न्ददरि

वसिष्ठधेन्याञ्च

मेदि०

रेणुकागन्धद्रव्ये

राजनि०

।६

कन्यायां

“नन्दगोपस्य

नन्दिनी”

हरिवं०

वसिष्ठ-धेनुश्च

सुरभिकन्या

“सुनां

तदीयां

सुरभेः

कृत्वाप्रतिनिधिं

शुचिः

आराधय

सपत्रीकः

प्रीता

काम-दुघा

हि

सा

इति

वादिन

एवास्य

होतुराहुति-साधनम्

अनिन्द्या

नन्दिनी

नाम

धेनुरावृते

वनात्”रघुः

“इह

नन्दिनीसजसैर्गुरुयुक्तैः”

वृ०

र०

टी०

उक्ते७

त्रयोदशाक्षरपादके

वर्णवृत्तभेदेवसिष्टधेन्वा

प्रभावो

रामा०

बालका०

उक्तो

यथा“युक्तःपरमहर्षेण

बशिष्ठमिदमब्रवीत्

गवां

शतसहस्रेणदीयतां

शबला

मम

एवमुक्तस्तु

भगवान्

वशिष्ठो

मुनि-सत्तमः

विश्वामित्रेण

धर्मात्मा

प्रत्युवाच

महीपतिम्

।कारणैर्बहुभीराजन्न

दास्ये

नन्दिनीं

तव

कामधेनुंबशिष्ठोऽसौ

तत्याज

यदा

मुनिः

ततोऽस्य

शबलांराजा

विश्वामित्रस्तदाहरत्

तस्याहम्बारवाज्जाताःकाम्वोजा

रविसन्निभाः

जधसश्चाभिसंजाताः

पह्नवाःशस्त्रपाणयः

योनिदेशाच्च

यवनाः

शकृद्देशाच्छका-स्तथा

रोमकूपेषु

म्लेच्छास्तथा

राम!

किरातकाः

।तैस्तन्निसूदितं

सैन्यं

विश्वामित्रस्य

तत्क्षणात्”

।८

व्याडिमातरि