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उर्वी (urvI)

 
Shabda Sagara English

उर्व्वी

Feminine.

(

-र्व्वी

)

The

earth.

Etymology

उरु

great,

ङीष्

Affix.

Yates English

उर्व्वी

(

र्व्वी

)

3.

Feminine.

The

earth.

Spoken Sanskrit English

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

two

wide

ones

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

wide

region

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

heaven

and

earth

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

wide

one

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

six

spaces

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

wide

earth

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

rivers

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

soil

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

earth

उर्वी

-

urvI

-

Feminine

-

rivers

तरस्वत्

-

tarasvat

-

Feminine

-

rivers

पयस्वती

-

payasvatI

-

Feminine

-

rivers

रोहित्

-

rohit

-

Feminine

-

rivers

वरी

-

varI

-

Feminine

-

rivers

हरस्वत्

-

harasvat

-

Feminine

-

rivers

हरित्

-

harit

-

Feminine

-

rivers

सरिद्वरा

-

saridvarA

-

Feminine

-

best

of

rivers

सरित्

-

sarit

-

Feminine

-

lord

of

rivers

कुटिलगेश

-

kuTilageza

-

Masculine

-

lord

of

rivers

तटिनीपति

-

taTinIpati

-

Masculine

-

lord

of

rivers

नदभर्तृ

-

nadabhartR

-

Masculine

-

lord

of

rivers

निम्नगापति

-

nimnagApati

-

Masculine

-

lord

of

rivers

वाहिनीपति

-

vAhinIpati

-

Masculine

-

lord

of

rivers

सरिदधिपति

-

saridadhipati

-

Masculine

-

lord

of

rivers

सिन्धुनाथ

-

sindhunAtha

-

Masculine

-

lord

of

rivers

सिन्धुराज

-

sindhurAja

-

Masculine

-

king

of

rivers

नदीकान्त

-

nadIkAnta

-

Masculine

-

lover

of

rivers

उत्तरण

-

uttaraNa

-

Neuter

-

crossing

rivers

वर्तनि

-

vartani

-

Feminine

-

course

of

rivers

उर्वी

urvI

Feminine

six

spaces

तलिन

talina

Adjective

having

spaces

सुषिर

suSira

Adjective

having

spaces

त्रुटिशस्

truTizas

Indeclinable

in

very

short

spaces

of

time

उर्वी

urvI

Feminine

six

spaces

तलिन

talina

Adjective

having

spaces

सुषिर

suSira

Adjective

having

spaces

त्रुटिशस्

truTizas

Indeclinable

in

very

short

spaces

of

time

Wilson English

उर्व्वी

Feminine.

(

-र्व्वी

)

The

earth.

Etymology

उरु

great,

ङीष्

Affix.

Apte English

उर्वी

[

urvī

],

1

'Wide

region',

the

earth

स्तोकमुर्व्यां

प्रयाति

Sakuntalâ (Bombay).

1.7

जुगोप

गोरूपधरामिवोर्वीम्

Raghuvamsa (Bombay).

2.3,

1.14,

3,

75,

2.66

Meghadūta (Bombay).

21.

Land,

soil.

The

open

space

or

expanse

(

comprising

six

spaces

id est, that is.

the

four

quarters

of

the

sky

with

the

upper

and

lower

spaces

).

A

river.

(

Dual.

)

Vedic.

the

two

worlds,

or

the

heaven

and

earth.

यः

पप्रौ

जायमान

उर्वी

Rigveda (Max Müller's Edition).

6.1.4.

Compound.

-ईशः,

-ईश्वरः,

-पतिः,

-धवः

a

king.

धरः

a

mountain.

the

serpent

Śeṣa.

-भृत्

Masculine.

a

king.

a

mountain.

-रुहः

a

tree

Sisupâlavadha.

4.7,

5.69.

Apte 1890 English

उर्वी

1

‘Wide

region’,

the

earth

स्तोकमुर्व्यां

प्रयाति

Ś.

1.

7

जुगोप

गोरूपधरामिवोर्वीं

R.

2.

3,

1.

14,

30,

75,

2.

66

Me.

21.

2

Land,

soil.

3

The

open

space

or

expanse

(

comprising

six

spaces

i.

e.

the

four

quarters

of

the

sky

with

the

upper

and

lower

spaces

).

4

A

river.

5

(

du.

)

Ved.

the

two

worlds,

or

the

heaven

and

earth.

Comp.

ईशः,

ईश्वरः,

पतिः,

धवः

a

king.

धरः

{1}

a

mountain.

{2}

the

serpent

Śeṣa.

भृत्

m.

{1}

a

king.

{2}

a

mountain.

रुहः

a

tree

Śi.

4.

7,

5.

69.

Monier Williams Cologne English

उर्वी

a

(

वू

),

feminine.

the

earth

See

उर्वी॑,

page.

218,

col.

1

उर्वी॑

b

feminine.

(

confer, compare.

उरु॑

),

‘the

wide

one’,

the

wide

earth,

earth,

soil,

ṛg-veda

i,

46,

2

ii,

4,

7

śakuntalā

manu-smṛti

et cetera.

(

वी॑

),

feminine.

dual number.

‘the

two

wide

ones’,

heaven

and

earth,

ṛg-veda

vi,

10,

4

x,

12,

3

88,

14

(

व्य॑स्

),

feminine.

plural number.

(

with

and

without

षष्

)

the

six

spaces

(

viz.

the

four

quarters

of

the

sky

with

the

upper

and

lower

spaces

),

ṛg-veda

atharva-veda

(

also

applied

to

heaven,

earth,

day,

night,

water,

and

vegetation

),

śāṅkhāyana-śrauta-sūtra

(

also

to

fire,

earth,

water,

wind,

day

and

night

),

śatapatha-brāhmaṇa

i,

5,

1,

22

rivers,

nirukta, by yāska

Monier Williams 1872 English

उर्वी,

f.

the

wide

earth,

the

earth,

the

soil

space,

the

open

space

or

great

expanse

comprising

the

six

spaces,

viz.

the

four

quarters

of

the

sky

with

the

upper

and

lower

spaces

a

river

(

वी

),

du.,

Ved.

the

two

worlds,

or

heaven

and

earth.

—उर्वी-धर,

अस्,

m.

a

mountain

the

serpent

Śeṣa.

—उर्वी-पति,

इस्,

m.

a

king.

—उर्वी-भृत्,

त्,

m.

a

mountain.

—उर्वी-

रुह,

अस्,

m.

a

tree,

‘growing

on

the

earth.’

—उर्वीश

(

°वी-ईश

),

अस्,

m.

a

king.

Macdonell English

उर्वी

urvī́,

Feminine.

earth

du.

heaven

and

earth

🞄pl.

w.

ṣaṣ,

the

six

terrestrial

spaces

(

four

🞄quarters,

above

&

below

sometimes

explained

🞄as

heaven

&

earth,

day

&

night,

water

&

plants

).

Apte Hindi Hindi

उर्वी

स्त्रीलिङ्गम्

-

"उर्णु+कु,

नलोपः,

ह्रस्वः,

ङीष्"

"विस्तृत

प्रदेश,

भूमि"

उर्वी

स्त्रीलिङ्गम्

-

"उर्णु+कु,

नलोपः,

ह्रस्वः,

ङीष्"

"पृथ्वी,

धरती"

उर्वी

स्त्रीलिङ्गम्

-

"उर्णु+कु,

नलोपः,

ह्रस्वः,

ङीष्"

"खुली

जगह,

मैदान"

Shabdartha Kaustubha Kannada

उर्वी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

उरु

ಪದದ

ಸ್ತ್ರೀಲಿಂಗ

ರೂಪ

निष्पत्तिः

स्त्रियां

"ङीप्"

(

४-१-४४

)

प्रयोगाः

"शरावृष्टिं

विधूयोर्वीं

स्रग्विणो

रक्तवाससः"

उल्लेखाः

मनु०

८-२५६

उर्वी

पदविभागः

स्त्रीलिङ्गः

कन्नडार्थः

ಭೂಮಿ

/ನೆಲ

/ಪೃಥ್ವಿ

निष्पत्तिः

ऊर्णुञ्

(

आच्छादने

)

-

"उः"

रस्वः

नुलोपश्च

(

उ०

१-३१

)

"ङीष्"

(

४-१-४४

)

व्युत्पत्तिः

ऊर्णोति

प्रयोगाः

"प्रश्नोदग्रप्लुतत्वात्

वियति

बहुतरं

स्तिकमुर्व्यां

प्रयाति"

उल्लेखाः

शाकु०

१-७

L R Vaidya English

uru

{%

a.

(

f.

रु

or

र्वी

compar.

वरीयस्,

super.

वरिष्ठ

)

%}

1.

Wide,

spacious

2.

great,

large,

R.vi.74

3.

much,

excessive

4.

precious,

valuable.

urvI

{%

f.

%}

1.

The

earth,

गोरूपधरामिवोर्वीम्

R.ii.3,

i.14,

30,

75,

ii.66,

Megh.i.21

2.

land,

soil

3.

space.

Bhutasankhya Sanskrit

१,

अंशुमान्,

अचला,

अब्ज,

अमृतांशु,

अवनि,

आदि,

आस्य,

इन्दु,

इला,

उडुपति,

उर्वरा,

उर्वी,

ऋक्षेश,

एक,

एणधर,

औषधीश,

क,

कलाधर,

कलि,

कु,

कुमुदाकरप्रिय,

क्षपाकर,

क्षमा,

क्षिति,

क्षोणि,

क्षोणी,

क्षमा,

गो,

गोत्र,

गोत्रा,

ग्लौ,

चन्द्र,

चन्द्रमस्,

जगती,

जैवातृक,

ज्या,

तनु,

दाक्षायणीप्राणेश,

धरणी,

धरा,

धरित्री,

नायक,

निशाकर,

निशेश,

पितामह,

पृथिवी,

पृथ्वी,

प्रालेयांशु,

ब्रह्मा,

भुवन्यु,

भू,

भूमि,

मही,

मुख,

मृगलाञ्छन,

मृगाङ्क,

मेदिनी,

रजनीकर,

रजनीश,

रात्रिप,

रात्रीश,

रुग्ण,

रूप,

लपन,

वक्त्र,

वदन,

वसुधा,

वसुन्धरा,

वाक्,

विधु,

विरञ्चि,

विश्वम्भरा,

शशधर,

शशभृत्,

शशलाञ्छन,

शशाङ्क,

शशि,

शशी,

शीतकर,

शीतकिरण,

शीतद्युति,

शीतमयूख,

शीतरश्मि,

शीतांशु,

शुभ्रभानु,

श्वेत,

श्वेतांशु,

सितरश्मि,

सुधांशु,

सोम,

स्थिरा,

हरिणधृत्,

हरिणाङ्क,

हिमकर,

हिमगु,

हिमरश्मि,

हिमांशु

E Bharati Sampat Sanskrit

(

स्त्री

)

ऊर्णोति

ऊर्णुञ्(

आच्छादने

)+उः।

उ०१.३१,

ह्रस्वः,

नुलोपश्च,

ङीष्

‘पश्योदग्रप्लुतत्वाद्वियति

बहुतरं

स्तोकमुर्व्यां

प्रयाति’

शाकु०१.७।

Bopp Latin

उर्वी

f.

(

ab

उरु

signo

fem.

)

terra.

AM.,

cf.

मही

et

पृ-

थिवी.

Dhatu Pata (Krishnacharya) Sanskrit

धातुः →

उर्व्

मूलधातुः →

उर्वी

धात्वर्थः →

हिंसायाम्

गणः →

भ्वादिः

कर्मकत्वं →

सकर्मकः

इट्त्वं →

सेट्

उपग्रहः →

परस्मैपदी

रूपम् →

ऊर्वति

अनुबन्धादिविशेषः →

ईदित्

Dhatu Pradipa Sanskrit

उर्वीँ

उर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

तुर्वीँ

तुर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

थुर्वीँ

थुर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

दुर्वीँ

दुर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

धुर्वीँ

धुर्वी

हिंसायाम्

-

ऊर्वति

ऊः,

उरौ,

उरः

ऊर्णः,

ऊर्णवान्

।ऊर्णिः

तूर्वति।

थूर्वति

दूर्वति।

दूर्वा

।धूर्वति

धूः,

धुरौ,

धुरः

तद्वहतीत्यर्थे

धुरो

यड्ढकौ

(

4/4/77

)

धुर्य्यः,

धौरेयः।

सर्वा

चासौ

धूश्चेति

सर्वधुरा

तां

वहतीति

खः-सर्वधुरीणः

योगविभागाद्

उ्तरधुरीणः।

एकधुराल्लुक्

(

4/4/79

)

एकधुरः।

एकधुरीणः।।

569-573

।।

Wordnet Sanskrit

Synonyms

पृथिवी,

भूः,

भूमिः,

अचला,

अनन्ता,

रसा,

विश्वम्भरा,

स्थिरा,

धरा,

धरित्री,

धरणी,

क्षौणी,

ज्या,

काश्यपी,

क्षितिः,

सर्वसहा,

वसुमती,

वसुधा,

उर्वी,

वसुन्धरा,

गोत्रा,

कुः,

पृथ्वी,

क्ष्मा,

अवनिः,

मेदिनी,

मही,

धरणी,

क्षोणिः,

क्षौणिः,

क्षमा,

अवनी,

महिः,

रत्नगर्भा,

सागराम्बरा,

अब्धिमेखला,

भूतधात्री,

रत्नावती,

देहिनी,

पारा,

विपुला,

मध्यमलोकवर्त्मा,

धारणी,

गन्धवती,

महाकान्ता,

खण्डनी,

गिरिकर्णिका,

धारयित्री,

धात्री,

अचलकीला,

गौः,

अब्धिद्वीपा,

इडा,

इडिका,

इला,

इलिका,

इरा,

आदिमा,

ईला,

वरा,

आद्या,

जगती,

पृथुः,

भुवनमाता,

निश्चला,

श्यामा

(Noun)

मर्त्याद्यधिष्ठानभूता।

"पृथिवी

पञ्चमम्

भूतम्"

Synonyms

पृथ्वी,

धरती,

धरा,

भू,

वसुन्धरा,

धरणी,

धरित्री,

अवनी,

उर्वी,

रत्नगर्भा,

वसुधा,

क्षितिः,

महिः,

मही,

अचलकीला,

अचला,

भूमण्डलः,

पृथिवीमण्डलम्,

विश्वम्भरा,

प्रथी,

विश्वधारिणी,

मेदिनी,

विश्वधेना

(Noun)

सौरमालायां

सूर्यं

परितः

भ्रममाणः

सूर्यात्

तृतीयः

मर्त्याद्यधिष्ठानभूतः

ग्रहगोलः।

"चन्द्रः

पृथ्वेः

उपग्रहः

अस्ति।"

Mahabharata English

Urvī

=

Bhūmi

(

the

Earth,

personif.

):

XII,

1788

(

etymology

).

Amarakosha Sanskrit

उर्वी

स्त्री।

भूमिः

समानार्थकाः

भू,

भूमि,

अचला,

अनन्ता,

रसा,

विश्वम्भरा,

स्थिरा,

धरा,

धरित्री,

धरणि,

क्षोणि,

ज्या,

काश्यपी,

क्षिति,

सर्वंसहा,

वसुमती,

वसुधा,

उर्वी,

वसुन्धरा,

गोत्रा,

कु,

पृथिवी,

पृथ्वी,

क्ष्मा,

अवनि,

मेदिनी,

मही,

विपुला,

गह्वरी,

धात्री,

गो,

इला,

कुम्भिनी,

क्षमा,

भूतधात्री,

रत्नगर्भा,

जगती,

सागराम्बरा,

इडा,

भूत,

इरा,

रोदस्,

रोदसी

2।1।3।1।4

सर्वंसहा

वसुमती

वसुधोर्वी

वसुन्धरा।

गोत्रा

कुः

पृथिवी

पृथ्वी

क्ष्मावनिर्मेदिनी

मही॥

विपुला

गह्वरी

धात्री

गौरिला

कुम्भिनी

क्षमा।

भूतधात्री

रत्नगर्भा

जगती

सागराम्बरा।

अवयव

==>

भूरन्ध्रम्,

मृद्

==>

अतिनिम्नप्रदेशः,

कुमुदयुक्तदेशः,

सर्वसस्याढ्यभूमिः,

निर्जलदेशः,

हलाद्यकृष्टभूमिः,

शरावत्याः_अवधेः_प्राग्दक्षिणदेशः,

शरावत्याः_अवधेः_पश्चिमोत्तरदेशः,

भारतस्य_पश्चिमसीमाप्रदेशः,

भारतभूमेः_मध्यदेशः,

विन्ध्यहिमाद्रिमध्यदेशः,

नडाधिकदेशः,

कुमुदबहुलदेशः,

बहुवेदसदेशः,

बालतृणबहुलदेशः,

सपङ्कदेशः,

जलाधिकदेशः,

अश्मप्रायमृदधिकदेशः,

वालुकाबहुलदेशः,

सिकतायुक्तदेशः,

नद्यम्बुभिः_सम्पन्नदेशः,

वृष्ट्यम्बुभिः_सम्पन्नदेशः,

स्वधर्मपरराजयुक्तदेशः,

सामान्यराजयुक्तदेशः,

नद्यादिसमीपभूमिः,

पाषाणादिनिबद्धा_भूः,

गृहरचनापरिच्छिन्नदेशः,

गृहरचनावच्छिन्नवास्तुभूमिः,

ग्रामादिसमीपदेशः,

पर्वतः,

मेखलाख्यपर्वतमध्यभागः,

पर्वतसमभूभागः,

अद्रेरधस्थोर्ध्वासन्नभूमिः,

यागार्थं_संस्कृतभूमिः,

स्वभूमिः,

पर्वतादयः,

विजनः,

अश्वेन_दिनैकाक्रमणदेशः,

भयङ्करयुद्धभूमिः,

प्रेतभूमिः,

यज्ञे_स्तावकद्विजावस्थानभूमिः,

ऊषरदेशः,

देशः,

जन्मभूमिः

पदार्थ-विभागः

,

द्रव्यम्,

पृथ्वी

Kalpadruma Sanskrit

उर्व्वी,

स्त्रीलिङ्गम्

(

उर्णौति

इति

ऊर्णूञ्

+

“महति

ह्रस्व-श्च”

३२

उणादिसूत्रेण

कुः

नुलोपो

ह्रस्वश्च

।बोतो

गुणवचनादिति

ङीष्

)

पृथिवी

इत्य-मरः

(

“हिरण्मयोर्व्वीरुहवल्लितन्तुभिः”

।इति

माघे

तथा,

रघुः

३०

।“अनन्यशासनामुर्व्वीं

शशासैकपुरीमिव”

)

Vachaspatyam Sanskrit

उर्वी

स्त्री

उरु

+

गुणवचनत्वात्

स्त्रियां

वा

ङीप्

वृहत्त्वयु-क्तायां

स्त्रियाम्

“उर्व्वीं

स्रजम्”

उरुशब्दे

उदा०

पृथिव्यांच

तस्यावृहत्त्वात्

तथात्वम्

“तैरुर्वीनिहितचलत्पदं

प्रचेलेमाघः

“अनन्यशासनामुर्वीं

शशासैकपुरीमिव”

“स्थितःसर्व्वोन्नतेनोर्वीम्”

रघुः

वेदे

“सुपांसुलुगित्यादिना”

पा०सर्वविभक्तौ

डियजादेशः

“सिन्धुर्नक्षोद

उर्विया

व्यश्वैत्”ऋ०१,

९२,

१२,

“उर्विया

महती”

भा०

“प्रतीची

चक्षु-रुर्विया

विभाति”

१,

९२,

नद्याम्

निरु०

Kshiratarangini Sanskrit

उर्वीँ

उर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

तुर्वीँ

तुर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

दुर्वीँ

दुर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

धुर्वीँ

धुर्वी

हिंसार्थाः

-ऊवति

ऊः,

ऊर्णः

तूः,

तूर्णः

दूः,

दूर्णः,

दूर्वा

धूः,

धूर्णः

हसिमृग्रिण

(

उ0

386

)

इति

तन्-धूर्तः

थुर्वी

इति

चन्द्रः

(

चा0

1195

)

जुर्वी

इति

दौर्गाः

जूर्वति

जूः

जूण

556-559

Dhatu Vritti Sanskrit

उर्वीँ

उर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

तुर्वीँ

तुर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

थुर्वीँ

थुर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

धुर्वीँ

धुर्वी

मानकरूपान्तरम्

-

दुर्वीँ

दुर्वी

(

अर्थः

)

हिंसार्थाः

(

ऊर्वति

ऊर्वो

चकार

ऊर्विता

ऊर्विष्यति

ऊर्वतु

और्वत्

ऊर्वेत्

और्व्यात्

और्वीत्

ऊर्विविषति

ऊर्वयति

मा

भवानूर्विवत्

)

रेफोपधत्वात्

"उपधायां

च''

इति

सर्वत्र

दीर्धः

(

ऊर्ण्णः

उर्ण्णवान्

)

ईदित्त्वान्निष्ठायामनिट्त्वे

ज्ञलादिप्रत्ययपरत्वात्

"राल्लोपः''इतिवलोरेफस्य

हल्परत्वाद्

"सिति

च''इति

दीर्घः

"रषाभ्याम्''इति

निष्ठानस्य

णत्वम्,

एवं

क्किय्यपि

"राल्लोपः''

इति

वलोपे

"र्वोरुपधाया''

इति

पदत्वे

दीर्घः,

(

ऊः

उरौ

उर

इत्यादि

तूर्वति

तुतूर्व

तूर्विता

तुतूर्विषति

तोतूर्व्यते

)

"हलो

यमाम्''

इति

वकारस्य

लोपो

यिआआसंख्यान्न

भवति

(

तोतूर्वीति

तोतोर्त्ति

तोतूर्त्तः

तोतूर्वति

इत्यादि

)

पिद्वचनेष्वनिट्त्वं

वकारस्य

ज्ञल्परत्वेनानुनासिकादिप्रत्ययपरत्वेन

राल्लोपे

लघूपधगुणः

"हलि

च''

इति

दीर्घत्वं

तु

गुणे

पूर्वत्रासिद्धम्

ङित्स्वरेनैव

दीर्घः

तोतूर्वतीतृयत्र

परत्वान्नित्यत्वाद्

राल्लोपात्पूर्वमद्भावे

कृते

ज्ञल्परत्वाभावान्न

राल्लोपः

"उपधायां

च''

इति

रेफोपधत्वाद्दीर्घः

(

तोतूर्तः

)

इत्यत्र

वलि

लोपे

"हलि

च''

इति

दीर्घः

अज्ञलादित्वादनुनासिकत्वाच्च

राल्लोपस्य

प्रसङ्गः

(

तोतोर्तृ

तोतूर्तात्

तोतूहिं

तोतूर्त्तम्

)

उत्तमे

राल्लोपस्यानित्यात्वादाडागमः

लुङितिप्सिपोः

परत्वाद्राल्लोपे

हल्ङ्यादिलोपे

(

अतोतोरिति

अतोतूर्वुः

)

इत्यत्र

परत्वाद्

जुसि

ज्ञल्परत्वाभावान्न

राल्लोपः

(

तूर्वयति

अतुतूर्वत्

तूर्वित्वा

तूर्ण्णः

तूर्ण्णवान्

)

ईदित्त्वान्निष्ठायामनिट्त्वम्

(

एवं

थूर्वति,

दूर्वति,

धूर्वतीत्यादि

धूः

धुरौ

)

"भ्राजभासभाष''

इत्यादिनां

क्किपि

राल्लोपः

पदत्वे

"र्वो''

इति

दोर्धः

धूर्ष्वितृयत्र

"खरसवानयो''

इति

विसर्जनीयो

"रोः

सुपि''

रोरेव

सुपीति

नियमान्न्भवति

(

धूर्पतिः

)

[

अहरादीनां

पत्यादिषु

उपसंख्यानम्

]

इति

विसर्जनीयापवादः

पक्षे

रेफः

उभयत्राप्यादिशब्दः

प्रकार

इति

हरदत्तः

रेफाभावे

विसर्जनीयो

धूःपतिः

अत्र

विसर्जनीयस्य

"कुप्वो

पौ

च''

इति

पवर्गपरत्वेन

पक्ष

उपध्मानीय

उदाह्मार्यः

"हणः

षः''

इति

षत्वमपदादिकवर्गपवर्गपरविसर्जनीयविषयमिति

भवति

(

धुर्यो

धौरेयः

)

"धुरो

यड्ढकौ''

इति

द्वितीयान्ताद्वहतीत्यर्थे

यड्ढकौ

धुर्यमित्यत्र

"हलि

च''

इति

दीर्घस्य

"न

भकुर्छुराम्''

इति

प्रतिषेधः

"र्वो''

इति

दीर्घस्तु

"यचि

भम्''

इति

भतृवेन

पदत्वस्य

बाधान्न

भवति

सर्वधुरं

वहति

(

सर्वधरीणः

)

"खः

सर्वधुरात्''

इति

खः

इति

योगविभागात्

(

दक्षिणधुरीणः

उत्तरधुरीणः

)

इति

वृत्तिः

योगविभागस्येष्टसिद्बार्थत्वाद्

(

धुरीण

)

इत्यपिद्रष्टव्यम्

अत्र

"ऋक्पूरब्धूःपथामानक्षे''

इति

ऋगाद्यन्ते

समासे

अकारस्य

सामासान्तस्य

िधानात

"परवल्लिङ्गं

द्वन्द्वतत्पुरुषयोः''इति

परवल्लिङ्गतया

सर्वधुराया

इति

निर्द्देष्टव्ये

सर्वधुरादिति

निर्देशः

शब्दरूपापेक्ष

इति

वृत्तावुक्तम्

अनक्षइति

वचनादक्षस्य

धूरक्षधूः

दृढा

धूरस्य

(

दृढधूरक्ष

)

इत्यादावकारो

भवति

(

सुधूरतिधूः

किंधूरधूः

)इत्यत्र

"न

पूजनात्''

"किमः

क्षेपे''

"नञस्तत्पुरुषात्''इति

समासान्ताभावः

पूजायां

स्वती

परिगणितौ

"किमः

क्षेपे''

इतृयत्र

न्यासान्तरेणापि

क्षेपग्रहणं

लक्षणप्रतिपदोक्तपरिभाषया

"किं

क्षेप''

इति

विहितस्य

क्षेपविषयस्यैव

तत्पुरुषस्य

लाभे

तत्करणात्सा

नेहास्तीति

कुत्सिता

धूरस्य

किंधूः

शकट

इत्यत्रापि

समासान्तो

नेत्युक्तं

पदामञ्जर्याम्,

तद्भाष्यविरोधादुपेक्ष्यमिति

अयं

चाकारः

समासार्थादुत्तरपदादकृत

एव

समासे

भवति,

तेन

द्विधुरीत्यादावकारान्तोत्तरपदत्वाद्

"द्विगोः''

इति

ङीप्सिद्धः

एतच्च

जेमतावुपपादितम्

एकधुरं

वहति,

(

एकधरीणः

एकधुरः

)

"एकधुराल्लुक्

च''इति

लुक्

खश्च

पक्षे

(

धूर्त्तो

हस्ती

)

"हसिमृग्रिण्वाम्''इत्यादिना

तन्

अक्षेषु

धूर्त्तः

"सप्तमी

शैण्डैः''

इति

सप्तम्यन्तं

शोण्डादिना

समस्यते,

(

ब्राह्मणधूर्त्तः

)

"पोटायुवती''इत्यादिना

समासः

565

KridantaRupaMala Sanskrit

1

{@“उर्वी

हिंसार्थः”@}

2

3

ऊर्वकः-र्विका,

ऊर्वकः-र्विका,

4

ऊर्विविषकः-षिका

ऊर्विता-त्री,

ऊर्वयिता-त्री,

ऊर्विविषिता-त्री

ऊर्वन्-न्ती,

ऊर्वयन्-न्ती,

ऊर्विविषन्-न्ती

ऊर्विष्यन्-न्ती-ती,

ऊर्वयिष्यन्-न्ती-ती,

ऊर्विविषिष्यन्-न्ती-ती

5

--

ऊर्वयमाणः,

ऊर्वयिष्यमाणः

6

ऊः-उरौ-उरः

--

--

7

ऊर्णः-र्णम्

8

-र्णवान्,

ऊर्वितम्-तः,

ऊर्विविषितम्-तः-तवान्

ऊर्वः,

ऊर्वः,

ऊर्विविषुः,

ऊर्विवयिषुः

ऊर्वितव्यम्,

ऊर्वयितव्यम्,

ऊर्विविषितव्यम्

ऊर्वणीयम्,

ऊर्वणीयम्,

ऊर्विविषणीयम्

ऊर्व्यम्,

ऊर्व्यम्,

ऊर्विविष्यम्

ईषदूर्वः,

दुरूर्वः,

सूर्वः

--

--

ऊर्व्यमाणः,

ऊर्व्यमाणः,

ऊर्विविष्यमाणः

ऊर्वः,

ऊर्वः,

ऊर्विविषः,

ऊर्वितुम्,

ऊर्वयितुम्,

ऊर्विविषितुम्

ऊर्वा,

ऊर्वणा,

ऊर्विविषा,

ऊर्विवयिषा

ऊर्वणम्,

ऊर्वणम्,

ऊर्विविषणम्

ऊर्वित्वा,

ऊर्वयित्वा,

ऊर्विविषित्वा

समूर्व्य,

समूर्व्य,

समूर्विविष्य

ऊर्वम्

२,

ऊर्वित्वा

२,

ऊर्वम्

२,

ऊर्वयित्वा

२,

ऊर्विविषम्

ऊर्विविषित्वा

२।

प्रासङ्गिक्यः

01

(

१०७

)

02

(

१-भ्वादिः-५६९-सक।

सेट्।

पर।

)

03

[

[

३।

‘उपधायां

च’

(

८-२-७८

)

इति

दीर्घः।

]

]

04

[

[

४।

‘न

न्द्राः

संयोगादयः’

(

६-१-३

)

इति

रेफस्य

द्वित्वनिषेधः।

]

]

05

[

पृष्ठम्०१०५+

२७

]

06

[

[

१।

‘राल्लोपः’

(

६-४-२१

)

इति

वकारस्य

लोपः।

‘र्वोरुपधाया

दीर्घं

इकः’

(

८-२-७६

)

इति

दीर्घः।

]

]

07

[

[

२।

‘श्वीदितः--’

(

७-२-१४

)

इति

इण्णिषेधः।

‘राल्लोपः’

(

६-४-२१

)

इति

वलोपः।

‘हलि

च’

(

८-२-७७

)

इति

दीर्घः।

‘रदाभ्यां--’

(

८-२-४२

)

इति

निष्ठानत्वम्।

णत्वम्।

]

]

08

[

[

आ।

‘प्रक्ष्यूतगोपीशुचमूर्णपूतनं

तूर्णानसं

थूर्णबकादिदानवम्।

दुदूर्विषून्

धूर्वितुमेव

गूर्वणं

मूर्वन्तमापूर्विंतपर्वताध्वरम्।।’

धा।

का।

१-७३।

]

]

Capeller German

उर्वी

s.

उरु

Burnouf French

उर्वी

उर्वी

feminine

(

उरु

)

la

terre.